धोखेबाज़ दोस्त – Hindi Naitik Kahaniya

हेलो हमारे प्यारे बच्चों क्या आप लोग हिंदी Naitik Shiksha ki Kahaniya सर्च कर रहे है | तो चिंता की कोई बात नहीं है | आज हम आप सबको एक  Hindi Naitik Kahaniya बतएगे | अमरा पुर गांव में मधु और गोपल नाम  के दो मित्र रहते थे | मधु बहुत ही अलसी और कामचोर था, और गोपाल बहुत ही परिश्रमी था | वह अपना काम पूरी लगन से करता था |
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Naitik kahaniya
वो दोनों एक ही गांव के जमींदार मोहन चौधरी की जमीन पर काम करते थे | गोपाल पूरा मन लागा कर काम करता था, और मधु अपने बैल को बांधकर पेड़ के नीचे गमछा बिछाकर सोता रहता था | और जैसे ही सूर्य अस्त हो जाता मधु अपने पूरे शरीर में मिट्टी लगाकर और बैल को भी मिट्टी लगाकर जमींदार के पास लें जाता था |

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जमींदार बाबू देखा था कि उसने बहुत काम किया है | और गोपाल खेतों का काम खत्म होने के बाद अपने बेलों को नहलाकर कर, ओर खुद भी अच्छे से स्नान कर के साफ सुथरा होकर घर वापस जाता था | ज़मीदार बाबू मधु के इस झूठ को पकड़ नहीं पाते थे | 

वे सोचते थे कि मधु बहुत ही परिश्रम हैं | और गोपाल बहुत ही कमजोर है | इस लिए जिम्मेदार बाबू ने रसोइये से कहा देखो मधु बहुत ही परिश्रम करता है | उसकी अच्छी देखभाल करना और ध्यान रखना उसके खाने में कोई भी कमी न होने पाये | रसोईया मधु को भरपेट खाना देता था | और गोपाल का पेट ही नहीं भरता था |

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गोपाल मन ही मन सोचता यह कैसा न्याय है, जो काम करता है, उसे भूखा रहना पड़ता है | और जो कामचोर है, वो भर पेट खाता है |  यह कैसा इंसाफ हुआ | मधु समझ गया कि गोपाल के मन में संदेह हो रहा है, और वह डर गया कि अगर गोपाल ने असली सच बता दिया तो |  

इसीलिए उसी रात को मधु ने गोपाल से कहा, सुन गोपाल  खेत की कोई भी बात जिम्मेदार बाबू से मत कहना | अगर कहा तो अच्छा नहीं होगा | केह देता हूँ | 

गोपाल  बोला:  हा ठीक है मैं कुछ भी नहीं कहूँगा पर याद रखना सच को कभी दबाया नहीं जा सकता, कभी नहीं | 

मधु बोला: अरे जा-जा तू अपना काम कर चल | 

यह सुन कर गोपाल सो जाता है | पूरे दिन के थकान के कारण गोपाल गहरी निंद में सो जाता है | और मधु पूरे दिन सोने के कारन पूरी रात सो नहीं पाता है | 

इसीलिए जब मधु सुबह बैल लेकर खेत में जाने लगा | तो उसकी आँखें लाल देखकर ज़मींदार बाबू ने पूछा क्या बात है, मधु रात को नींद नहीं आई क्या ?

मधू कहा: अब क्या कहु हजूर रात में बहुत मच्छर परेशान करते हैं, उन्होंने मुझे सोने नहीं दिया |

इसके बाद तो  मधु की खातिरदारी और बढ़ गईं | अब वह जमींदार के घर में ही रहने लगा | मधु बहुत खुश था |और उसका जीवन ऐसे ही बहुत मजे सेचलने लगा | मधु अब हमेशा खेतों में जाकर बैल को रस्सी से बांधकर वो सोया रहता था | और गोपाल ईमानदारी से अपना काम करता जाता बिना फल की चिंता किये |

एक दिन हुआ ये,  खाते वक्त रसोइये ने देखा कि मधु खाना बरबाद कर रहा है | रसोईयों ने मधु से कहाँ मैं कुछ दिनों से देख रहा हूँ कि तुम खाना बर्बाद करते हो | जितना चाहिए उतना ही क्यो नहीं लेते | मधु कोई उत्तर नहीं दिया | 

उधर रसोईया  गोपाल को देखकर ये सोचने लगा, मधु बहुत खाना बर्बाद रहा है | और गोपाल का पेट ही नहीं भर रहा है, कहीं कुछ-ना-कुछ तो गडबड जरूर है | रसोइया जमींदार की पत्नी के पास गया और उनसे प्रणाम करके कहा प्रणाम मलकिन, मैं केहना चाहता हू- की कही कुछ तो गड़बड़ जरूर हैं |

रसोइया जमींदार की पत्नी को मधु और गोपाल के खाने के बारे में सबकुछ स्पष्ट बता दिया | उस दिन रात को जमींदार की पत्नी ने जमींदार से कहा, अच्छा सुनिए तो सही मधु गोपाल खेतों में क्या काम करते हैं | वो आपको एक बार देखना तो चाहिए | वे क्या काम करते हैं ?  कैसा काम करते हैं ?  आपको नजर तो रखनी चाहिए |

जब जिम्मेदार बाबू ने कारण जानना चाहा तब जमींदार की पत्नी ने संदेह का कारण बताया | यह  सुनकर मींदार ने सोचा बात तो सही है | पर एक बार अपनी आँखों से देखना उचित होगा | 

ये सोच कर दूसरे दिन वे किसी से बिना कुछ कहे चुपचाप खेतों में चले गए | दूर से खड़े होकर उन्होंने देखा कि गोपाल बहुत मन से काम कर रहता है | जैसे वो अपने लिया  कर रहा हो | अब वे  मधु को ढूंढने लगे, पूरे खेतो में उन्हें मधु कहीं भी नजर नहीं आया | जमींदार सोचा अरे ये मधु कहा चला गया, कहीं दिखाई नहीं दे रहा है |

जमींदार मोहन चौधरी समझ गए कि मधु जरूर कही है, और काम चोरी कर रहा है | तभी जमींदार की नज़र तालाब की घाट पर पड़ती है | उन्होंने देखा घाट के किनारे मधु गमछा के तकिया लगाकर खर्राटे ले कर सो रहा है |

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ये देखकर जमींदार बाबू को बहुत गुस्सा आया | किसी को बिना कुछ कहे वो अपने घर लौट आए और अपनी पत्नी से कहा मुझे गोपाल के लिए बहुत बुरा लगा रहा है, पहले मैने उसके साथ बहुत अन्याय किया है |

एक आदमी बिना कुछ कहे परिश्रम करता जा रहा है | और दूसरा बिना कुछ काम किए सारा सुख भोग रहा है | यह नहीं हो सकता है | मैं गोपाल को पहचान नहीं पाया | 

तब जमींदार की पत्नी ने कहा, आप ना गोपाल को कोई दूसरा काम दे दीजिए उसके बाद हम अपनी बेटी की शादी उससे करवा देंगे |  बेटी भी हमारे नज़रों से दूर नहीं होगी हैना |  क्या कहते है ? आप बोलिए ना, जमींदार की पत्नी की बात सुनकर जमींदार बाबू को बहुत अच्छा लगा | 

जमींदार बाबू ने सूर्य अस्त होने तक इंतजार किया उसके बाद जब वे दोनों घर लौट आये, तो जमींदार बाबू ने मधु को बुलाया-मधु अभी मेरे कमरे में आओ तुम से कुछ बात करनी है |

मधु बोला: हजूर शरीर में मिट्टी लगी हुई है, मै मिट्टी साफ करके आता हूँ | पूरे दिन मिट्टी पसीना में काम कर के कपड़े गंदे हो गए है पहले इसे साफ तो कर लू | 

जमीदार बोला: नहीं-नहीं  इसी वक्त मेरे कमरे में आओ | जमीदार यह कहकर चले जाते हैं | मधु को कुछ भी समझ नही आता है, कि अचानक यह क्या हुआ | मधु धीरे-धीरे जमींदार बाबू के कमरे की तरफ गया |

जमीदार बाबू ने मधु को देखकर कहाँ -  आ गए अभी तुम्हारा एक काम बाकी है | तुम गोपाल के पूरे शरीर में अच्छे से हल्दी तेल लगाकर उसे गर्म पानी से स्नान करवा कर साफ कपड़े पहनाकर इस कमरे में ले आओगे ठीक हैं |

मधु बोला: हजूर ये कैसा अन्याय है ?  पुरे दिन इतना मेहनत करने के बाद में उस आलसी गोपाल के शरीर में हल्दी और तेल लगाऊंगा |

जमींदार ने कहा: इतने दिनों से तुमने मुझे बेवकूफ बनाया है | आज मैने अपनी आँखों से देखा है- तुम्हारे परिश्रम का नमूना | तुम आलसी हो, कामचोर हो, झूठे हो | तुम इसी समय इस घर से निकल जाओ | तुम्हें अब मैं काम पर नहीं रखूँगा |

ये बात सुनकर गोपाल ने जमींदार के पैर पकड़ कर कहा | हमदोनो आपके पास काम के लिए ही आए थे ना | आप दया करके  मधु को एक और मौका दीजिए ,हजूर | मुझे विश्वास है कि मधु को अपनी गलती समझ गया हैं | क्यों है न मधु ?

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इसके  बाद जमींदार बाबू ने गोपाल की बात मान ली और मधु से कहा बस एक बार एक बार मौका देता हूँ | पर तुम्हे अपने आप को साबित  करना पड़ेगा कि तुम आलसी नहीं हो | 

इसके बाद गोपाल जमीदार का हिसाब किताब का काम देखने लगा | और मधु अपने आप को बदलकर बहुत परिश्रमी हो गया | मधु समझ गया काम चोरी करने से जीवन में कोई काम नहीं होता | मधु और गोपाल की मित्रता और गहरी  हो गयी |

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हमें यह Naitik Shiksha ki kahani से शिक्षा मीलती है, कि हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए | कामचोरी नहीं करना चहिये | मेहनत करने वाले को समय आने पर फल आवस्य ही मिलता है |

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