बच्चों आज में आपको Hindi Story सुनाने जा रहा हूँ| जो इस कहानी का नाम हैं, लालच बुरी बला है| यह बहुत पुरानी बात है। एक गांव में एक किसान रहता था। वो काफी परेशान था, उस गाँव में सभी की फसल अच्छी होती थी, लेकिन किसान की फसल इतनी अच्छी नहीं होती थी, उसके पास इतना धन भी नहीं था। जिससे वो अपनी खेती के लिए अच्छे बीज या फिर उन्नत तकनीकें खरीद सके काफी समय से उसकी फसल सूखे हुई थी।
एक दिन वह किसान परेशानी के कारण अपने खेत में ही सो जाता है। और अपने घर नहीं जाता अगले दिन जब सुबह होती है। तो वह किसान उठता है, और उसे उस खेत के पास सांप नजर आता है। तो वो सोचने लगता है अरे साथ मेरे खेत के पास है लगता है इस खेत का कोई देवता है| और मैने इसकी पूजा नहीं की इसलिए मेरा खेत सूख गया है मेरी फ़सल भी सूखी हुई है कल से मैं इसके लिए रोज़ दूध जाऊंगा| और इसे दूध पिलाकर में इसका आशीर्वाद ग्रहण करूँगा| शायद मेरी फसल अच्छी हो जाए इतना कहता हैं, किसान चला जाता है और अपने घर से एक कटोरी दूध लाता है| और किसान उस दूध को साफ के पास रख कर कहता है| ये सब पहले मैं नहीं जानता था, कि आप इस खेत के देवता हैं, और मैने आपकी पूजा नहीं कि मुझे क्षमा करें| और दूध ग्रहण करें, और मुझे अपना आशीर्वाद दे| यह कह कर वो दूध रख कर चला जाता है|
अगले दिन किसान खेत पर आता है और देखता है की वहाँ सोने की मुद्रा रखी है| किसान उस सोने की मुद्रा को देखकर सोचता है की ये कैसी स्वर्ण मुद्रा मुझे मिली हैं लगता है इस सांप ने ही मुझे दी है| मुझे रख लेना चाहिए और अब मैं रोज़ ही दूध पिलाऊंगा| और यह कह कर किसान वहाँ से चला जाता है, इस तरह से किसान अब हर दिन वो सांप के लिए दूध लाने लगे और सांप भी उसे रोज़-रोज़ एक-एक मुद्रा देने लगा| ऐसा करते करते किसान उस सांप से काफी सारी मुद्रा इकट्ठी कर लेता है|
एक दिन किसान का बेटा खेत पर आकर ये सब करते हुए उसे देख लेता है| और उससे पूछता है पिताजी ये सब आप क्या कर रहे हो और इस सांप को दूध क्यों खिला रहे हो क्या ये साप को काटेगा नहीं आपको इससे डर नहीं होता यह सुनकर किसान मुस्कुराता है| और अपने बेटे से कहता है बेटा ये सांप इस खेत का देवता है| और यह मुझे दूध पिलाने पर काटता नहीं बल्कि हमें अपना आशीर्वाद देता है इस को दूध पिलाने से मुझे एक स्वर्ण मुद्रा हर रोज़ मीलती है, यह सुनते ही किसान के बेटे के चेहरे पर शरारती मुस्कान आ जाती है और उसके मन में एक नई शरारत सुझती हैं फिर वो अपने पिताजी से कहता है| पिताजी कल से मैं भी इस सांप दूध खिलाऊंगा और इसको दूध पिला कर मुझे भी स्वर्ण मुद्राएं मिलेंगे क्या पता ये मेरी सेवा से प्रसन्न होकर मुझे कुछ और अपने आशीर्वाद के रूप में दे|
किसान अपने बेटे की बात सुनकर थोड़ा मुस्कुराता है| और फिर उससे कहता है, हाँ बेटा क्यों नहीं तुम जरूर उसे दूध पिलाओ लेकिन यह ध्यान रखना तुम्हें यह सांप काट भी सकता है| अगले दिन से किसान का बेटा उस सांप के दूध लाने लगा,फिर जब वो दूसरे दिन उस सांप के लिए दूध लाता है| तो उसे स्वर्ण मुद्राएं मीलती है और वो कहता है| अगर ये सांप रोज़ एक स्वर्ण मुद्रा देता है| तो इसके पास ना जाने कितने स्वर्ण मुद्राएं होंगी क्यों ना मै एक साथ ही ये सारे स्वर्ण मुद्रा ले लूँ हम इसे रोज़ दूध देते है, और यह हमें केवल एक ही मुद्रा देता है अगले दिन किसान का बेटा है जो दूध लेकर आता है| तो सांप अपने बिल से बाहर निकलना है और फिर वह उस पर एक छड़ी से वॉर करता है| सांप भी गुस्से में उसे काट लेता है तब किसान के बेटा चिलाया काट लिया सांप ने बचाओ-बचाओ और फिर क्या था किसान का बेटा वही मर जाता है| और सांप घायल अवस्था में वहाँ से चला जाता है| किसान अपने बेटे का अंतिम संस्कार वहीं खेत में कर देता है|
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मीलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करनी चाहिए और थोड़े में ही संतोष करना चाहिए|अगर आपको हमारा Hindi Kahani पसंद आ रहा हो तो इन्हें लाइक करे और हमरी इस हिंदी स्टोरी को आपने दोस्तो के साथ सहरे जर्रुर करे|
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