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महबूबा की लाश से लिपट, फफक-फफककर रो पड़ा रोमेश। देखने वालों की आंख भर आई पर शव श्मशान नहीं गया। मरने वाली दुल्हन बनी और दूल्हे की तरह सजा रोमेश…वही रोमेश, जिस पर कुंजुम की हत्या का आरोप था। जेल से महज शादी करने के लिए वो कुंजुम के शव तक पहुंचा था। एक वादा था, जो निभाया गया और फिर कुंजुम सदा-सदा के लिए सबसे ज़ुदा हो गई।
दस साल तक सलाखों के पीछे रहने के बाद रोमेश को बरी कर दिया गया है। अब तो शायद ही किसी को याद हो रोमेश-कुंजुम की प्रेमकहानी, लेकिन यह एक ऐसी लवस्टोरी है, जिसमें किसी सस्पेंस, थ्रिलर फ़िल्म से कम टर्न नहीं हैं।
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कुंजम बुद्धिराजा का 20 मार्च, 1999 को रोमेश शर्मा के जय माता दी फार्म हाउस में कत्ल कर दिया गया था। उस समय रोमेश तिहाड़ की कैद भुगत रहा था। उस पर बहुत-से आरोप थे। हालांकि जेल जाने से पहले रोमेश की पहचान एक सियासी व्यक्ति के रूप में ही होती थी। शान-ओ-शौकत और दौलत से भरपूर रोमेश की ज़िंदगी सबकी आंखों में चुभती थी।
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इलाहाबाद के एक मामूली किसान के बेटे रोमेश के पास हेलिकॉप्टर तक था, इससे ही उसके ऐश्वर्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है…। हालांकि आरोप यह है कि उसने चुनाव प्रचार के लिए हेलिकॉप्टर किराए पर लिया था, लेकिन बाद में लौटाया ही नहीं।
और…कुंजुम? रोमेश और कुंजुम की मुलाकात चुनाव प्रचार के दौरान ही हुई थी। जल्द ही दोनों एक-दूसरे को दिल-ओ-जान से चाहने लगे।
रोमेश ने कुंजम को दिल्ली में एक कोठी दिला दी। दोनों बिना शादी के साथ रहने लगे। इसी बीच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दुबई से आने वाली एक फोन कॉल सुनी और रोमेश शर्मा को अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम से रिश्तों की बिना पर धर-दबोचा।
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अब दोनों दूर थे। कुंजुम बाहर और रोमेश जेल में, लेकिन उनके बीच मोहब्बत कम नहीं हुई थी। कुंजुम दर्द भरी चिट्ठियां लिखती, जिसमें तनहाई के एक-एक पल का ज़िक्र होता। तड़प का बयान किया जाता। एक चिट्ठी में कुंजुम ने लिखा था, मेरी लिए बहुत पीड़ादायक है कि मैं आज़ाद हूं लेकिन आप के लिए कुछ नहीं कर पा रही हूं। स्वीटहार्ट, मुझे तुम पर गर्व है और मै इस ब्रह्मांड की सबसे लकी लडकी हूं, जो तुम जैसा जीवनसाथी मुझे मिला है। इस दुनिया मे आपका कोई मुकाबला नहीं है। इन चिट्ठियों में रोजमर्रा की हर छोटी-बड़ी बात होती। सारी दुनिया के लिए खलनायक रोमेश को कुंजुम संजय दत्त जैसा हैंडसम बताती।
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रोमेश की गिरफ्तारी को छह महीने ही गुजरे थे कि कुंजुम का किसी ने कत्ल कर दिया। जांच में पता चला कि कुंजुम का कत्ल रोमेश के ही भतीजे सुरेंद्र ने कराया है। वज़ह यह कि कुंजुम सारी जायदाद खुद हड़प कर लेना चाहती थी। आरोप था कि रोमेश के इशारे पर ही कुंजुम का कत्ल कर दिया गया, क्योंकि वो उसके सारे राज़ जान गई थी। नौ साल बाद कुंजुम की हत्या के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने रोमेश को बेगुनाह माना है। अब इस प्रेमकहानी का राजा आज़ाद है। वो चुनाव लड़ता-लड़वाता है पर कुंजुम सिर्फ कहानियों में बाकी है।
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